ऐसा झूठ कबहुँ सच होवै
ऐसो झूठ कबहुँ सच होवै
झूठ झूठ ही पुकार स्वामिनी कबहुँ बाँवरी रोवै
झूठी विनय करो तुम सांची मेरो बल न कोय
तुम्हरौ नाम लगै प्राणन मीठौ रसना नाम भिगोय
झूठी बाँवरी झूठी विनय करी पर स्वामिनी मेरो साँची
झूठो को साँचो कर देय कबहुँ कोऊ बल बुद्धि न जाँची
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