किस तरह दर्द तेरा देख पाएँगे हम तेरे अश्कों को अपनी आँखों से बहाएंगे हम वो बरसातें जो भरी हैं तेरी आँखों में कहीं उन्हीं बरसातों में भीग कर अब नहाएंगे हम किस तरह दर्द...... देकर म...
झूम कर आये हैं अब तेरे मयखाने में हम जाने क्यों सुलगने की तम्मना मुझमें बाक़ी है एक एक जाम ने दिया है कुछ सुरूर हमको थोड़ी पीकर बहकने की तम्मना मुझमें बाकी है यह तपिश इश्क़ की सच ...