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गोपाल सहस्त्रनाम

रुक्मिणीहरण: प्रेमप्रेमी चन्द्रावलीपति: ॥68॥ श्रीकर्ता विश्वभर्ता च नारायणनरो बली । गणो गणपतिश्चैव दत्तात्रेयो महामुनि: ॥69॥ व्यासो नारायणो दिव्यो भव्यो भावुकधारक: । श्व: श्रेयसं शिवं भद्रं भावुकं भविकं शुभम ॥70॥ शुभात्मक: शुभ: शास्ता प्रशस्ता मेघनादहा । ब्रह्मण्यदेवो दीनानामुद्धारकरणक्षम: ॥71॥ कृष्ण: कमलपत्राक्ष: कृष्ण: कमललोचन: । कृष्ण: कामी सदा कृष्ण: समस्तप्रियकारक: ॥72॥ नन्दो नन्दी महानन्दी मादी मादनक: किली । मिली हिली गिली गोली गोलो गोलालयी गुली ॥73॥ गुग्गुली मारकी शाखी वट: पिप्पलक: कृती । म्लेक्षहा कालहर्ता च यशोदायश एव च ॥74॥ अच्युत: केशवो विष्णुर्हरि: सत्यो जनार्दन: । हंसो नारायणो लीलो नीलो भक्तिपरायण: ॥75॥ रविवारे च शुक्रे च द्वादश्यां श्राद्धवासरे । ब्राह्मणं पूजयित्वा च भोजयित्वा विधानत: ॥151॥ पठेन्नामसहस्त्रं च तत: सिद्धि: प्रजायते । महानिशायां सततं वैष्णवो य: पठेत्सदा ॥152॥ देशान्तरगता लक्ष्मी: समायातिं न संशय: । त्रैलोक्ये च महादेवि सुन्दर्य: काममोहिता: ॥153॥ मुग्धा: स्वयं समायान्ति वैष्णवं च भजन्ति ता: । रोगी रोगात्प्रमुच्येत बद्धो मुच्येत बन्धनात ॥154॥ गुर्विणी जनयेत्प...

श्रीललिते

युगल सुखकारिणी केलि सम्भारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते रस विस्तारणी रङ्ग बिहारिणी  जय जय जय स्वामिनी ललिते वन आखेटिका नवल संयोजिका जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंग विलासिनी विपिन वासिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित प्रकाशिनी मुदित विलासिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते युगल प्रमोदिनी रस अनुमोदिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते कला मुद्रिके सुभग चन्द्रिके जय जय जय स्वामिनी ललिते नित्य षोडशी प्रमुदित अहर्निशी जय जय जय स्वामिनी ललिते नित्यरस मूलिनी परागित फूलनी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि आधारिणी नाद सम्भारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते रस कल्लोलिनी मधुर बोलिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते नवल कौतुकी केलि चातकी जय जय जय स्वामिनी ललिते प्रीति संयोजिका केलि केन्द्रिका जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंत शोभिणी अनंग लोभिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि सम्पुटिका सैज सम्भारिका जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित मनुहारिणी क्रीड़ा विस्तारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि पताका युगल विशाखा जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंग पूर्णिमा मिलन मधुरिमा जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित ज्योत्सना प्रीति सम्पन्ना जय जय जय स्वामिनी ललिते मदमत् सारँगिते...

ललित भीत

युगल सुखकारिणी केलि सम्भारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते रस विस्तारणी रङ्ग बिहारिणी  जय जय जय स्वामिनी ललिते वन आखेटिका नवल संयोजिका जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंग विलासिनी विपिन वासिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित प्रकाशिनी मुदित विलासिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते युगल प्रमोदिनी रस अनुमोदिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते कला मुद्रिके सुभग चन्द्रिके जय जय जय स्वामिनी ललिते नित्य षोडशी प्रमुदित अहर्निशी जय जय जय स्वामिनी ललिते नित्यरस मूलिनी परागित फूलनी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि आधारिणी नाद सम्भारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते रस कल्लोलिनी मधुर बोलिनी जय जय जय स्वामिनी ललिते नवल कौतुकी केलि चातकी जय जय जय स्वामिनी ललिते प्रीति संयोजिका केलि केन्द्रिका जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंत शोभिणी अनंग लोभिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि सम्पुटिका सैज सम्भारिका जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित मनुहारिणी क्रीड़ा विस्तारिणी जय जय जय स्वामिनी ललिते केलि पताका युगल विशाखा जय जय जय स्वामिनी ललिते अनंग पूर्णिमा मिलन मधुरिमा जय जय जय स्वामिनी ललिते ललित ज्योत्सना प्रीति सम्पन्ना जय जय जय स्वामिनी ललिते

ललित विलास

जयजय ललित रसजोरि की ललित निहारन ....कैसी अद्भुत रसपगी रसमसी जोरि है री सखी ! दोऊ रसीले रसिया ....इनके अंग अंग में अनन्त अनंग विलास भरे री..... रसीले कौतुक .... रसीली चितवन ... रसीली निहारन .... दिवा रात्रि यह रसीली जोरि रस सिन्धु में ही अवगाहन करती रहती है..... दोऊ बिहारी हैं री यह .... बिहार में भरे .... इनका हृदय उस रस सागर की मीन की भाँति अतृप्त रहवै.... सदा सिन्धु में डूबे रहवै कौ व्याकुल....  निहार री ललित दासी .... ललित नेत्रंन की ललित कोर सौं निहार री ..... निहार निहार के सुख लेय री....और और ललिताई गह्वराई की आशीष देय री इस ललित बिहारिनि जोरि कौ.....यह परस्पर अंस भुज मिलाय मिलाय मिले रह्वैं री..... अपने हृदय रुपी ललित सेज पर इन्हें पौढ़ाए राखो री.... इनका यह विलास ही तो तुम्हारे प्राण हैं..... रसमई बिहारी जोरि कौ ललित बिहार री..... चिरजीवे अद्भुत यह जोरि..... इनकी आरती उतार लेय री.... और और मधुराई बढ़ती रहे.... ललित सुभग सेज ...ललित क्रीड़ा ....ललित श्रृंगार ..... यही गीत गाती रहो री ..... श्रीललिते श्रीललिते श्रीललिते ..... यही नाम तो इनके ललित विलासों का सम्पुट है री .... बिह...

अधरं मधुरं

अधरं मधुरं .....मधुर मधुर .... इतनी मधुरता भरी इन अधरों में ...बहा लिए जा रही यह वेणु ... रव रव मधुर मधुर ....  नयनं मधुरं.... क्या भरा है इन नयनों में .... कहाँ से ला रहे इतनी मधुरता ... अरे भीतर ही समेटे बैठे हो .... मत खोलो इन बड़े बड़े नेत्रों को .... मधुराधिपति ... मधुराधिपति .... वचनं मधुरं ... किसे गा रहे हो .... मधुरता को .... भीतर वही तो है ... मधुराधिपति ...  वचनं मधुरं .. भरे भरे ... झार रहे मधुरताओं को.... चलना भी मधुर मधुर.... यह लचकन ... यह ठुमकन ...  तुम्हारी रेणु भी अति मधुर है .... न होती मधुरता तो क्यों समस्त प्रेमी अपने मस्तक का श्रृंगार बनाते .... ओह .. जिसे स्पर्श करते मधुर मधुर ही करते न तुम ... नृत्यं मधुरं .... मधुरता में ही लासित होकर ऐसी ऐसी मधुर मुद्राएँ हे त्रिभंग लला.... मधुराधिपति .... मधुराधिपति..... यह मस्तक पर मधुर मधुर तिलक ... अहा ... यह पीताम्बरी की मधुर कसन ...   रमणम  मधुरं ....रमणम मधुरं ..... मधुरताओं में ही रमण करते हो ... दृष्टमं मधुरं .... जान गई मैं कहाँ निहार रहे हो .... किसे निहार रहे हो .... कालिन्दी का यह मधुर स...