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क्षण क्षण बिरथा कीन्हीं

हरिहौं क्षण क्षण बिरथा कीन्हीं चँचल चित्त इत उत दौराय बिरथा स्वासा कीन्हीं हरिहौं हरो मन कौ चंचलता अपने चरणन लावो पुनि पुनि दौरे जग वीथिन अपनी शरण बैठावो हरिहौं बाँवरी अ...